MH370 विमान, जो 8 मार्च 2014 को 239 यात्रियों के साथ गायब हो गया था, अब तक एक रहस्य बना हुआ है। कई सालों की खोज और खोज अभियानों के बावजूद इसका मलबा या ठोस सुराग नहीं मिला है। यह फ्लाइट कुआलालंपुर से बीजिंग की ओर जा रही थी, तभी अचानक गायब हो गई थी जिसमें सबसे ज्यादा चीन के यात्री सवार थे।
Table of Contents: MH370 विमान
हाल ही में MH370 विमान के गायब होने के लगभग 10 साल बाद वैज्ञानिकों ने इसे खोजने का दावा किया है। 2014 में यह मलेशिया एयरलाइंस का विमान 239 यात्रियों के साथ रहस्यमय तरीके से गायब हो गया था। खोज की कोशिशें लंबे समय तक हिंद महासागर के 120,000 वर्ग किलोमीटर के खोज क्षेत्र में चलीं, लेकिन अब तक इसका कोई ठोस सुराग नहीं मिला है। हाल ही में वैज्ञानिकों ने इसके संभावित स्थान के बारे में नया डेटा साझा किया है, जिससे उम्मीद है कि इसे खोजा जा सकेगा।
हाल ही में ऑस्ट्रेलिया के तस्मानिया विश्वविध्यालय के वैज्ञानिक के द्वारा MH370 विमान को ढूंढे जाने का दावा किया गया जिसका विस्तृत वर्णन नीचें है।
MH370 के बारे में अभी तक क्या मिला?
अब तक, MH370 विमान की खोज के दौरान कुछ मलबे के हिस्से मिले हैं, लेकिन पूरे विमान का कोई ठोस सुराग नहीं मिल पाया है। मुख्य रूप से तीन बड़े टुकड़े विमान से संबंधित पाए गए हैं, जो भारतीय महासागर के तटों और अफ्रीकी तटों पर मिले थे। इनमें एक “फ्लैपरॉन” नामक टुकड़ा शामिल है, जो बोइंग 777 के विंग का हिस्सा था और यह मलबा रीयूनियन द्वीप पर मिला था। इसके अलावा, कुछ अन्य छोटे टुकड़े भी मिले हैं, जो संभावित रूप से MH370 विमान से संबंधित हो सकते हैं।
हालांकि, ये टुकड़े विमान के पूरे मलबे तक पहुंचने के लिए पर्याप्त जानकारी प्रदान नहीं कर सके हैं। अब तक की जांच और खोज अभियानों से भी यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि विमान कहां और कैसे दुर्घटनाग्रस्त हुआ। खोजकर्ताओं का मानना है कि विमान दक्षिणी भारतीय महासागर में कहीं दुर्घटनाग्रस्त हुआ होगा, लेकिन इसका सही स्थान अभी तक पहचाना नहीं जा सका है।
वैज्ञानिकों का नया दावा, सोशल मीडिया पर शेयर किया पोस्ट
तस्मानिया विश्वविद्यालय के समुद्री और अंटार्कटिक अध्ययन संस्थान (Institute for Marine and Antarctic Studies) में काम करने वाले वैज्ञानिक विन्सेंट लीन ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म Linkedin पर पोस्ट शेयर किया है। जिससे की यह अंदाजा लगाया जा रहा है कि जल्द ही इस रहस्य का खुलासा हो सकता है। उन्होंने अपने पोस्ट में बताया कि MH370 उस स्थान पर स्थित है, जहाँ पेनांग हवाई अड्डे का देशांतर पायलट-इन-कमांड के होम सिम्युलेटर से उड़ान पथ को काटता है। यह साइट दक्षिणी हिंद महासागर में ब्रोकन रिज के पूर्वी छोर पर 6,000 मीटर गहरी खाई में स्थित है। जो अपने बीहड़ और कठोर पानी के नीचे के परिदृश्य के लिए जाना जाता है।
वैज्ञानिक विन्सेंट लीन का मानना है कि यह कोई हादसा नहीं था यह सोची समझी साजिश के तहत किया गया था उनका सिद्धांत है कि विमान को जानबूझकर हिंद महासागर के ब्रोकन रिज पर 20,000 फीट की गहराई में गिराया गया था। महीन तलछट से भरा यह विमान MH-370 के लिए एकदम सही छिपने की जगह है, वैज्ञानिक ने कहा और निष्कर्ष निकाला कि विमान के पायलट अहमद शाह ने जानबूझकर इसे दुर्घटनाग्रस्त किया।
उन्होंने कहा कि ब्रोकन रिज के पूर्वी छोर पर एक छेद है और इस क्षेत्र की प्राथमिकता के आधार पर जांच की जानी चाहिए।
उन्होंने अपने पोस्ट में कहा कि उस स्थान को खास रुप से जांच करने की आवश्यकता है। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि इसकी खोज की जाएगी भी या नहीं यह सारी बातें खोज करने वाली कंपनियों पर निर्भर करता है। हालांकि जहां तक विज्ञान की बात है हम जानते हैं कि पिछली खोज क्यों विफल रही थी। वैज्ञानिक द्वारा शेयर किया गया यह पोस्ट सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है।
MH370 विमान की खोज की वर्तमान स्थिति?
MH370 विमान के गायब होने के 10 साल बाद, हाल ही में कुछ वैज्ञानिकों ने इसके संभावित स्थान को लेकर नई जानकारी दी है, लेकिन अभी तक इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है।
- नवीनतम दावे: वैज्ञानिकों ने सैटेलाइट डेटा और अन्य नवीनतम तकनीकों के आधार पर दक्षिणी भारतीय महासागर में एक संभावित स्थान का सुझाव दिया है, जहां विमान दुर्घटनाग्रस्त हो सकता है। यह क्षेत्र पहले की खोज में शामिल नहीं था और अब इसे संभावित रूप से जांच के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
- मलेशियाई सरकार का रुख: मलेशियाई प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम ने कहा है कि अगर ठोस सबूत मिलते हैं, तो सरकार खोज को फिर से शुरू करने पर विचार कर सकती है।
- वर्तमान खोज की स्थिति: नए सुराग मिलने की उम्मीदें बनी हुई हैं, लेकिन अभी तक इन दावों की आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। इस मामले में अपडेट्स और नए खोज अभियान का इंतजार किया जा रहा है।
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कौन सी नई तकनीक का उपयोग किया जाता है?
MH370 की खोज में नई तकनीकों का उपयोग हो रहा है, जिससे विमान का संभावित स्थान खोजने में मदद मिल सकती है। वैज्ञानिक और खोजकर्ता अब परिष्कृत सैटेलाइट डेटा विश्लेषण, अंडरवाटर ड्रोन, और उन्नत सिमुलेशन तकनीकों का उपयोग कर रहे हैं। इन तकनीकों के माध्यम से, विमान के मलबे को ढूंढने के लिए महासागर की सतह और गहराई का विस्तार से अध्ययन किया जा रहा है।
- सैटेलाइट डेटा विश्लेषण: Inmarsat सैटेलाइट के डेटा का उपयोग कर विमान की संभावित उड़ान पथ का विश्लेषण किया गया है। नए एल्गोरिद्म और उन्नत सॉफ्टवेयर की मदद से डेटा को और अधिक सटीकता से पुनः जांचा जा रहा है।
- ड्रिफ्ट पैटर्न मॉडलिंग: महासागर में मलबे के बहाव का अध्ययन किया जा रहा है, जिससे यह समझने की कोशिश की जा रही है कि समुद्र की लहरें विमान के टुकड़ों को कहां ले गईं। यह मॉडलिंग तकनीक उन क्षेत्रों को सीमित करने में मदद करती है जहां विमान हो सकता है।
- अंडरवाटर ड्रोन: गहरे समुद्र की तलहटी की स्कैनिंग के लिए उन्नत अंडरवाटर ड्रोन और सोनार तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है। ये ड्रोन अत्यधिक गहराई तक जाकर छोटे-से-छोटे मलबे के हिस्से का पता लगा सकते हैं।
ये नई तकनीकें खोज को अधिक प्रभावी और सटीक बनाने के लिए महत्वपूर्ण साबित हो रही हैं। हालाँकि, अभी तक कोई निर्णायक निष्कर्ष नहीं निकला है, लेकिन इन तकनीकों से उम्मीदें बनी हुई हैं कि विमान का मलबा आखिरकार ढूंढा जा सकेगा।