Sharda Sinha : योगदान और उनकी आखिरी छठ गीत के बारे में ……

बिहार की स्वर कोकिला, शारदा सिन्हा (Sharda Sinha), का 5 नवंबर 2024 को दिल्ली के एम्स अस्पताल में निधन 72 वर्ष की आयु में हुआ, वह मल्टीपल मायलोमा (रक्त कैंसर) जैसी बीमारी से जूझ रहीं थी। जिससे संगीत जगत और उनके प्रशंसकों में शोक की लहर है। शारदा सिन्हा को बिहार की लोक संगीत परंपरा को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर लोकप्रिय बनाने के लिए जाना जाता था। उन्होंने भोजपुरी, मैथिली और मगही जैसी भाषाओं में अनेक लोकगीत गाए, जिनमें छठ पूजा के गीत विशेष रूप से प्रसिद्ध हैं। उनके गीतों में ग्रामीण संस्कृति और परंपराओं की झलक मिलती है, जो उन्होंने अपने अनोखे अंदाज में प्रस्तुत किया।

संक्षिप्त परिचय

विवरणजानकारी
पूरा नामशारदा सिन्हा
जन्म तिथि1 अक्टूबर 1952
जन्म स्थानसमस्तीपुर, बिहार
भाषाभोजपुरी, मैथिली, मगही
प्रमुख गीत“केलवा के पात पर”, “हे छठी माई”, “सुन छठी माई”
सम्मानपद्म भूषण (2018), पद्म श्री (1991)
निधन तिथि5 नवंबर 2024 (72 वर्ष)

शारदा सिन्हा का योगदान केवल उनके गीतों तक सीमित नहीं रहा; उनके व्यक्तित्व में भी एक मातृत्व की झलक थी, जिससे उनके श्रोताओं में अपनत्व का भाव उत्पन्न होता था। उनका प्रसिद्ध छठ गीत “केलवा के पात पर उगेलन सूरज मल झाके झुके” पूरे देश में लोकप्रीय है, जो हर साल छठ पूजा के समय विशेष रूप से सुनने को मिलता है।

Sharda Sinha

कौन सी बीमारी से थीं ग्रसित ?

शारदा सिन्हा जिन्हें बिहार की स्वर कोकिला के नाम से जाना जाता है, जिनका निधन Multiple myeloma जो ब्लड कैंसर का एक प्रकार है से ग्रसित थीं । इस बीमारी का पता 2018 में जाँच के दौरान पता चला था । उसके बाद उनका इलाज चल रहा था उन्होंने अपनों अखिती साँस AIIMS (All India Institute of Medical Sciences), Delhi 5 नवम्बर 2024 को लीं ।

Sharda Sinha का आखिरी छठ गीत

लोकप्रिय लोकगायिका शारदा सिन्हा का आखिरी छठ गीत “दुखवा मिटाइए छठी माई” उनके अस्वस्थ होने के कारण अस्पताल से रिलीज़ किया गया। ये गीत छठ पर्व के ठीक पहले उनके बेटे ने साझा किया, क्योंकि स्वास्थ्य बिगड़ने के कारण वे वीडियो रिकॉर्ड नहीं कर सकीं। यह गीत शारदा सिन्हा के प्रशंसकों के लिए भावुक क्षण बना, जो छठ के त्योहार से उनका आखिरी संगीत जुड़ाव भी है। इस गाने को रिलीज़ करते हुए, उनके बेटे अंशुमान ने उनकी स्थिति के बारे में बताया और गीत के माध्यम से छठ पूजा की पारंपरिक भावना को कायम रखने की कोशिश की, जो उनके प्रशंसकों के दिलों को छू गया।

उनके फैंस ने इस गीत को एक अंतिम भेंट के रूप में स्वीकार किया, और यह गीत यूट्यूब पर आते ही व्यापक सराहना के साथ वायरल हो गया, जिससे ये एक यादगार प्रस्तुति बन गया है।

Sharda Sinha का आखिरी छठ गीत को अस्पताल से रिलीज़ किया गया।

Sharda Sinha के निधन के बाद उनके बेटे अंशुमन ने बताया कि उनकी अंतिम यात्रा पटना में उनके पिता के अंतिम संस्कार वाले स्थान पर संपन्न होगी। उनकी इस विदाई ने पूरे बिहार और भारत में लोकसंगीत प्रेमियों को गहरे शोक में डाल दिया है।

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शारदा सिन्हा ( Sharda Sinha ) की संगीत यात्रा और उनके गानों की मिठास आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणादायक रहेगी, और उनका योगदान भारतीय लोक संगीत के क्षेत्र में अविस्मरणीय रहेगा। उनके गीतों में न केवल संगीत बल्कि बिहार की संस्कृति और परंपराओं का भी जादू था, जो सदैव याद किए जाएंगे।

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