RBI Monetory Policy Rate August 2024 वर्तमान और उभरती समष्टि-आर्थिक स्थिति के आकलन के आधार पर, मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने आज (8 अगस्त 2024) अपनी बैठक में यह निर्णय लिया है कि:
- चलनिधि समायोजन सुविधा (एल.ए.एफ) के अंतर्गत नीतिगत रेपो दर को 6.50 प्रतिशत पर यथावत् रखा जाएगा।
Liqudity Adjustment Facility (LAF) के अंतर्गत Repo Rate और Reverse Repo Rate दोनों ही आते है
परिणामस्वरूप, स्थायी जमा सुविधा (एसडीएफ) दर 6.25 प्रतिशत तथा सीमांत स्थायी सुविधा (एमएसएफ) दर और बैंक दर 6.75 प्रतिशत पर यथावत् बनी हुई है।
विभिन्न ब्याज दर: RBI Monetary Policy
विभिन्न ब्याज दर | ब्याज दर प्रतिशत में |
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Policy Repo Rate | 6.50% |
Standing Deposit Facility Rate | 6.25% |
Marginal Standing Facility Rate | 6.75% |
Bank Rate | 6.75% |
Fixed Reverse Repo Rate | 3.35% |
आरक्षित ब्याज दर: RBI Monetary Policy
आरक्षित ब्याज दर | ब्याज दर प्रतिशत में |
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CRR | 4.50% |
SLR | 18.00% |
- एमपीसी ने फ़िलहाल यथास्थिति बनाये रखने पर ध्यान केंद्रित रखने का भी निर्णय लिया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि मुद्रास्फीति उतरोत्तर संवृद्धि को समर्थन प्रदान करते हुए लक्ष्य के को पूरा किया जा सके।
ये निर्णय, संवृद्धि को समर्थन प्रदान करते हुए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) मुद्रास्फीति को +/- 2 प्रतिशत के दायरे में रखते हुए 4 प्रतिशत का मध्यावधि लक्ष्य प्राप्त करने के अनुरूप है।
मौद्रिक निति के मुख्य विश्लेषण: RBI Monetary Policy
अंतर्राष्ट्रीय और भारत में विभिन्न क्षेत्रों पर प्रभाव
वैश्विक आर्थिक संभानाओं में लचीलापन बना हुआ है, तथापि गति में कुछ नरमी है। प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में मुद्रास्फीति कम हो रही है, लेकिन सेवाओं की कीमतों में मुद्रास्फीति बनी हुई है। पिछली नीति बैठक के बाद से खाद्य, ऊर्जा और आधार धातुओं की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में कमी आई है। संवृद्धि-मुद्रास्फीति की बदलती संभावनाओं के साथ, केंद्रीय बैंक अपनी नीतिगत मार्ग में भिन्न-भिन्न दिशाओं में जा रहे हैं। इससे वित्तीय बाजारों में अस्थिरता उत्पन्न हो रही है। इक्विटी में हाल ही में वैश्विक बिकवाली के बीच, डॉलर सूचकांक कमजोर हुआ है, सॉवरेन बॉण्ड प्रतिफल में तेजी से कमी आई है और स्वर्ण की कीमतें रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गई हैं।
भारत में विभिन्न क्ष्रेत्रों में वृद्धि दर
3. घरेलू आर्थिक गतिविधि ने अपनी गति को बनाए रखा है। कमजोर और विलंबित शुरुआत के बाद, स्थानिक प्रसार में सुधार के साथ संचयी दक्षिण-पश्चिम मानसून वर्षा में तेजी आई है। 7 अगस्त 2024 तक, यह दीर्घकालिक औसत से 7 प्रतिशत अधिक थी। इससे खरीफ की बुवाई को समर्थन मिला है, 2 अगस्त तक कुल बुवाई क्षेत्र एक वर्ष पहले की तुलना में 2.9 प्रतिशत अधिक था। मई 2024 में औद्योगिक उत्पादन में 5.9 प्रतिशत (वर्ष-दर-वर्ष) की वृद्धि दर्ज की गई। जून में महत्वपूर्ण उद्योगों में 4.0 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जबकि मई में यह 6.4 प्रतिशत थी। जून-जुलाई 2024 के दौरान जारी किए गए अन्य उच्च आवृत्ति संकेतक, सेवा क्षेत्र की गतिविधि के विस्तार, निजी उपभोग में चल रही बहाली और निजी निवेश गतिविधि में तेजी के संकेत देते हैं। अप्रैल-जून के दौरान पण्य निर्यात, गैर-तेल गैर-स्वर्ण आयात, सेवा निर्यात और आयात में वृद्धि हुई।
कृषि एवं अन्य क्षेत्र: RBI Monetary Policy
4. आगे, भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के दक्षिण-पश्चिम मानसून के सामान्य से अधिक रहने के अनुमान और खरीफ की अच्छी बुआई से बेहतर होती ग्रामीण मांग को समर्थन मिलेगा। विनिर्माण और सेवाओं में धारणीय गति से शहरी मांग में स्थिरता का संकेत मिलता है। निवेश गतिविधि के उच्च आवृत्ति संकेतक, जैसा कि स्टील के उपभोग में मजबूत वृद्धि, उच्च क्षमता उपयोग, बैंकों और कॉरपोरेट्स की स्वस्थ तुलन-पत्र और बुनियादी ढांचे पर व्यय पर सरकार के निरंतर जोर से स्पष्ट है, एक मजबूत संभावना की ओर इंगित करते हैं। विश्व व्यापार की संभावनाओं में सुधार, बाहरी मांग को समर्थन दे सकता है। तथापि, भू-राजनीतिक तनाव, अंतरराष्ट्रीय कमोडिटी कीमतों में उतार-चढ़ाव और भू-आर्थिक विखंडन से उत्पन्न प्रतिकूल परिस्थितियाँ संभावना के लिए जोखिम उत्पन्न करती हैं। इन सभी कारकों को ध्यान में रखते हुए, 2024-25 के लिए वास्तविक जीडीपी संवृद्धि पहली तिमाही में 7.1 प्रतिशत, दूसरी तिमाही में 7.2 प्रतिशत, तीसरी तिमाही में 7.3 प्रतिशत और चौथी तिमाही में 7.2 प्रतिशत के साथ 7.2 प्रतिशत रहने का अनुमान है। 2025-26 की पहली तिमाही के लिए वास्तविक जीडीपी संवृद्धि 7.2 प्रतिशत रहने का अनुमान है (चार्ट 1)। जोखिम समान रूप से संतुलित हैं।
हैडलाइन मुद्रास्फीति (WPI)
5. अप्रैल-मई 2024 के दौरान 4.8 प्रतिशत पर स्थिर रहने के बाद जून 2024 में हेडलाइन मुद्रास्फीति (WPI) बढ़कर 5.1 प्रतिशत हो गई। खाद्य मुद्रास्फीति दबाव के बढ़ने – मुख्य रूप से सब्जियों, दालों और खाद्य तेलों की कीमतों में तेज वृद्धि के साथ-साथ अनाज, दूध, फलों और तैयार भोजन में मुद्रास्फीति में वृद्धि – से हेडलाइन मुद्रास्फीति को बढ़ावा मिला। ईंधन समूह अवस्फीति में रहा, जो अगस्त 2023 और मार्च 2024 में एलपीजी की कीमत में तेज कटौती के संचयी प्रभाव को दर्शाता है। मई-जून में मूल (खाद्य और ईंधन को छोड़कर सीपीआई) मुद्रास्फीति 3.1 प्रतिशत पर मौजूदा सीपीआई शृंखला में एक नए निचले स्तर को छू गई, साथ ही मूल सेवाओं की मुद्रास्फीति भी शृंखला में सबसे कम रही।
6. हेडलाइन मुद्रास्फीति अपने चरम स्तर से कम हुई है, लेकिन असमान रूप से। आगे, जुलाई में खाद्य मूल्य की गति उच्च बनी हुई है। 2024-25 की दूसरी तिमाही में, यद्यपि अनुकूल आधार प्रभाव बड़े हैं, लेकिन पूर्व की प्रत्याशाओं के सापेक्ष मूल्य गति में तेज वृद्धि के परिणामस्वरूप सीपीआई हेडलाइन मुद्रास्फीति में थोड़ी नरमी आने की संभावना है। अनुकूल आधार प्रभाव कम होने के कारण तीसरी तिमाही में मुद्रास्फीति बढ़ने की आशा है। मानसून में लगातार प्रगति, खरीफ की बुवाई में तेजी, खाद्यान्नों के पर्याप्त बफर भंडार और वैश्विक खाद्य कीमतों में कमी, खाद्य मूल्य दबाव को नियंत्रित करने के लिए सकारात्मक हैं। प्रतिकूल जलवायु घटनाएँ, खाद्य मुद्रास्फीति के लिए एक ऊर्ध्वगामी जोखिम बनी हुई हैं। मांग संबंधी चिंताओं और भू-राजनीतिक तनावों के कारण कच्चे तेल की कीमतें अस्थिर हैं। मोबाइल टैरिफ दरों में संशोधन से मूल मुद्रास्फीति में वृद्धि होने की संभावना है। रिज़र्व बैंक द्वारा सर्वेक्षण किए गए विनिर्माण, सेवा और बुनियादी ढांचा फर्मों को इस वर्ष की दूसरी छमाही में बिक्री कीमतों में वृद्धि की उम्मीद है। परिवारों की मुद्रास्फीति प्रत्याशाएँ भी बढ़ गई हैं और उपभोक्ता विश्वास कमजोर हुआ है। सामान्य मानसून की परिकल्पना करते हुए, 2024-25 के लिए सीपीआई मुद्रास्फीति दूसरी तिमाही में 4.4 प्रतिशत, तीसरी तिमाही में 4.7 प्रतिशत और चौथी तिमाही में 4.3 प्रतिशत के साथ 4.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है। 2025-26 की पहली तिमाही के लिए सीपीआई मुद्रास्फीति 4.4 प्रतिशत रहने का अनुमान है (चार्ट 2)। जोखिम समान रूप से संतुलित हैं।
RBI Monetary Policy Rate August 2024
7. एमपीसी को उम्मीद है कि निवेश मांग, स्थिर शहरी उपभोग और बढ़ते ग्रामीण उपभोग के समर्थन से घरेलू संवृद्धि बरकरार रहेगी। अस्थिर और उच्च खाद्य कीमतों से जोखिम उच्च बने हुए हैं, जो मुद्रास्फीति की प्रत्याशाओं पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकते हैं और परिणामस्वरूप मूल मुद्रास्फीति पर इसका प्रभाव विस्तार हो सकता है। मूल मुद्रास्फीति के निचले स्तर पर पहुंचने के भी संकेत हैं। तदनुसार, आगे चलकर इन कारकों का प्रभाव कैसा रहता है, एमपीसी ने इसके प्रति सतर्क रहने का निर्णय किया। एमपीसी मुद्रास्फीति को टिकाऊ आधार पर 4 प्रतिशत लक्ष्य से संरेखित करने की अपनी प्रतिबद्धता में दृढ़ है। इन परिस्थितियों में, एमपीसी ने इस बैठक में नीतिगत रेपो दर को 6.50 प्रतिशत पर यथावत रखने का निर्णय लिया। एमपीसी ने अवस्फीतिकारक रुख को तब तक जारी रखने की आवश्यकता दोहराई, जब तक कि हेडलाइन सीपीआई मुद्रास्फीति धारणीय रूप से लक्ष्य के साथ संरेखित नहीं हो जाती है। टिकाऊ मूल्य स्थिरता उच्च संवृद्धि की धारणीय अवधि के लिए मजबूत नींव रखती है। अतः एमपीसी, यह सुनिश्चित करने के लिए, कि मुद्रास्फीति संवृद्धि को समर्थन प्रदान करते हुए लक्ष्य के साथ उत्तरोत्तर संरेखित हो, निभाव को वापस लेने के अवस्फीतिकारी रुख को जारी रखना उपयुक्त मानती है।
8. डॉ. शशांक भिडे, डॉ. राजीव रंजन, डॉ. माइकल देवब्रत पात्र और श्री शक्तिकान्त दास ने नीतिगत रेपो दर को 6.50 प्रतिशत पर यथावत् रखने के लिए वोट किया। डॉ. आशिमा गोयल और प्रो. जयंत आर. वर्मा ने नीतिगत रेपो दर को 25 आधार अंकों तक कम करने के लिए वोट किया।
9. डॉ. शशांक भिडे, डॉ. राजीव रंजन, डॉ. माइकल देवब्रत पात्र और श्री शक्तिकान्त दास ने निभाव को वापस लेने, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि मुद्रास्फीति उतरोत्तर संवृद्धि को समर्थन प्रदान करते हुए लक्ष्य के साथ संरेखित हो, पर ध्यान केंद्रित रखने के लिए वोट किया। डॉ. आशिमा गोयल और प्रो. जयंत आर. वर्मा ने रुख को तटस्थ के रूप में बदलने के लिए वोट किया।
10. RBI Monetary Policy Rate August 2024 की इस बैठक का कार्यवृत्त 22 अगस्त 2024 को प्रकाशित किया जाएगा।
11. भारित रिज़र्एव बैंक के द्मवारा पीसी की अगली बैठक 7 से 9 अक्तूबर 2024 के दौरान निर्धारित है।